धामी सरकार का उत्तराखंड में बुलडोज़र एक्शन जारी, 10 हजार एकड़ भूमि कराई अतिक्रमण मुक्त

Sun 28-Dec-2025,12:55 AM IST +05:30

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धामी सरकार का उत्तराखंड में बुलडोज़र एक्शन जारी, 10 हजार एकड़ भूमि कराई अतिक्रमण मुक्त Uttarakhand-Bulldozer-Action_-Dhami-Govt-Frees-Over-10,000-Acres-from-Encroachment
  • उत्तराखंड में धामी सरकार का बुलडोज़र एक्शन जारी। अब तक 10 हजार एकड़ भूमि अतिक्रमण मुक्त और 570 से अधिक अवैध संरचनाएं ध्वस्त।

Maharashtra / Nagpur :

नागपुर/ देवभूमि उत्तराखंड में अवैध कब्जों और देवभूमि विरोधी गतिविधियों के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में प्रशासन का बुलडोज़र एक्शन लगातार जारी है। सरकार की इस व्यापक मुहिम के तहत अब तक 10 हजार एकड़ से अधिक सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया जा चुका है। इसके साथ ही 570 से अधिक अवैध संरचनाएं जमींदोज की जा चुकी हैं, जो राज्य में कानून-व्यवस्था को सख़्ती से लागू करने के संकेत देती हैं।

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई केवल तोड़फोड़ तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे देवभूमि की जमीन को जनता और विकास कार्यों के लिए वापस लौटाने की एक सुनियोजित नीति के रूप में देखा जा रहा है। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि धर्म, प्रभाव या किसी भी आड़ में सरकारी भूमि पर कब्ज़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

गदरपुर से देहरादून तक कार्रवाई

उधम सिंह नगर जिले के गदरपुर क्षेत्र में सरकारी बाग पर किए गए अवैध कब्जे को हटाने के लिए बुलडोज़र कार्रवाई की गई। वहीं, देहरादून के हरिद्वार रोड पर भी बीती रात एक अवैध संरचना को ध्वस्त किया गया। प्रशासन ने बताया कि चिन्हित क्षेत्रों में आगे भी अभियान तेज़ रहेगा और कार्रवाई चरणबद्ध तरीके से जारी रहेगी।

सरकार का स्पष्ट रुख

धामी सरकार ने दो टूक कहा है कि उत्तराखंड में धर्म की आड़ में सरकारी भूमि पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण स्वीकार नहीं किया जाएगा। जहां भी अवैध कब्ज़ा पाया जाएगा, वहां कानून के तहत सख़्त कार्रवाई करते हुए बुलडोज़र चलाया जाएगा। सरकार का मानना है कि देवभूमि की पवित्रता, सार्वजनिक संपत्ति और कानून-व्यवस्था से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

विकास और सार्वजनिक हित पर फोकस

प्रशासन का दावा है कि अतिक्रमण मुक्त कराई गई भूमि का उपयोग सार्वजनिक सुविधाओं, आधारभूत ढांचे और विकास परियोजनाओं के लिए किया जाएगा। इससे न केवल शहरी और ग्रामीण नियोजन बेहतर होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक संतुलन को भी मजबूती मिलेगी।

कुल मिलाकर, उत्तराखंड में चल रहा यह अभियान राज्य में कानून के समान प्रवर्तन और सार्वजनिक भूमि की सुरक्षा की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है। आने वाले दिनों में और भी क्षेत्रों में कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।